
Illustration by Ajinkya Dekhane
समुद्र दिखाना है मेरी मां को,
उसने देखा नहीं कभी,
न समुद्र न पहाड़ न बर्फ,
जब मैने पहली बार समुद्र देखा,
मैं रो पड़ी,
यह सोच कर कि क्या मेरी मां बिना समुद्र देखे ही मर जायेगी?
न जाने झारखंड में रही और जी कितनी महिलाओं ने समुद्र नही देखा होगा?
खटा होगा, घिसा होगा,
और बिना समुद्र देखे मर गई होंगी?
समुद्र के छींटे, वो चेहरे पर हवा,
बालों में धूल, हाथ और तलवे पर रेत,
संभालने को हवा में उड़ रही साड़ी का पल्लू और दुप्पटा,
और लहरें।
ये सब कुछ कभी न देख पाना,
उस दिन, उस वक्त, ऐसा लगा कि,
जीवन में एक बार समुद्र देखना तो जरूरी है,
क्यों मेरे पहले मेरे साथ मेरे बाद इतनी महिलाएं समुद्र नही देख पाएंगी?
मूरा की कविता
