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शहरी अभियान और सभ्यता का नाटक

Illustration by Shrujana N Shridhar

कैसे शुरू होते हैं अभियान ?

पिछले दिनों
शहर के अलग-अलग हिस्सों में
पागल कुत्तों के झुंड ने
कई लोगों को काटा
पर किसी ने सवाल नहीं उठाया
लोग इसके अभ्यस्त हो चुके हैं
पागल कुत्ते सामान्य लगते हैं
वे भीड़ में रहते हैंपर कल रात कुछ लोगों पर
जंगल से भटक आए
एक जंगली जानवर ने
अपने बचाव में अचानक कर दिया हमला
और कुछ लोग हो गए घायलरातों-रात
उस जंगली जानवर की पूरी नस्ल
घोषित कर दी गई
सबसे ख़तरनाक और हिंसक
और जंगल से उनके सफाए का
एक नया अभियान शुरू कर दिया गया ।

 

दर्शक सिर्फ़ ताली बजाता है

जंगल में घुसते हुए
एक शहर का आदमी पूछता है
क्या यहां से जंगल शुरू होता है?
जंगल कहता है
सिर्फ़ जंगल नहीं
यहां से एक सभ्यता शुरू होती हैजंगल से निकलते हुए
शहर का वह आदमी पूछता है
क्या यहां जगल ख़त्म होता है?
जंगल कहता है
सिर्फ़ जंगल नहीं
यहां से एक सभ्यता ख़त्म होती हैइसके आगे क्या होता है ?
जंगल कहता है
इससे आगे की दुनिया में
सभ्यता और मनुष्य के नाम पर
एक नाटक शुरू होता है
जहां ना चाहते हुए भी आप
बस दर्शक बना दिए जाते हैंजैसे ही दृश्य बदलता है
कोई आदमी सड़क पर चलता है
तब दर्शक सिर्फ़ ताली बजाता है ।

Jacinta Karketta

Jacinta Karketta

Jacinta Kerketta is a poet, writer, and freelance journalist, belonging to an Oraon Adivasi community of West Singhbhum district. She writes in Hindi. In her poems, Jacinta highlights the injustices committed on the Adivasi communities, along with their struggles. Her poems are also important cultural and artistic documents of Adivasi worldviews. Jacinta is the author of two bi-lingual (Hindi and English) full-length collections of poems – Angor (Adivani, Kolkata) and Jadon Ki Zameen (Bharatiya Jnanpith, New Delhi).

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